अंतर्राष्ट्रीय पृथ्वी दिवस पर एक एसडीएम की कविताएं

आज अंतर्राष्ट्रीय पृथ्वी दिवस पर बरबस ही कुछ कहने का मन हुआ...


।। धरती माता ।।


अवनी तू झेल रही है 
रात-दिन अंबर का अट्ठाहास उलाहना और रौबिले दंश ..
 
हां तू झेल रही है अपनों से निरादर कष्ट अत्याचार और ना जाने कितने प्रपंच..
 
हां तू झेलती है अनल अनिल अंबु के प्राणघाति वार पर वार फिर भी तू आश्रितों को देती मां की लाड दुलार प्रेम खूब अपार..  


बिना रुके मेहनत कर रात दिन  बनाती मौसम बदलती 
लाती चेहरों पर खुशियां 
और प्रकृति की नित नई कलाकृतियां..


हे धरा तू धन्य है जो बिन मांगे सब देती है फिर पापी रक्त पिपासु तेरी अनमोल छँटा का चीर हरण क्यों करते हैं...


हे पृथ्वी माता हम असंस्कारी कुप्रवृत्ति लोभपीड़ित पूतों को माफ करना और अपना पालक रूप सदैव बनाए रखना...


शपथ है हम तेरी मान शान और मर्यादा के लिए जी जान लगा देंगे....


।। आइए मिलकर अपनी पृथ्वी  और उसके पर्यावरण का संरक्षण करें उसका आदर और सम्मान करें ।।


       ।। अंतर्राष्ट्रीय पृथ्वी दिवस की
              हार्दिक शुभकामनाएं ।।


।। श्रीगणेश ।।


सादर
गणेश जायसवाल 
एसडीएम  मेहगांव 
भिंड ।